मज़ेदार अदला-बदली--10
गतांक से आगे..........................
वहां चुदाई का दृश्य देखकर दोनों शाक्ड थे. पिंकी मेरी ओर लपकी और चेक किया तो मुझे बेहोश पाया. बड़ी मुश्किल से उसके हलक से कंपकपाती लेकिन गुस्से से भरी आवाज़ में ये बोल फूटे-
पिंकी: अमित.........................
ये क्या कर रहे थो तुम...........
वहां का दृश्यावलोकन करके रवि ने भी अपना सर पकड़ लिया....हे भगवान् ये क्या देख रहा हूँ मैं.............
अब जैसे अमित को होश आया और उसने अपना लंड खींचा और पिंकी से याचना भरे स्वर में बोला....मुझे माफ़ करदो, पता नहीं मैं बहक गया था, मुझे खुद पता नहीं ये मुझसे क्या हो रहा था.
पिंकी ने अब प्रचंड रूप धारण कर लिया था........ ऐय्याशी कर रहे थे और क्या........, हे भगवान...... तुम्हारा असली रूप सामने आ गया मेरे.
अमित: पिंकी आधा तो तुम्ही लोगों ने करवाया मुझसे और अब मुझ ही पर इलज़ाम लगा रहे हो. क्यों इलाज करवाया इस तरह से, इसके बोबे चूसो, लंड निकाल कर खड़ा करो, नाभि को चूसो, लंड से मसाज़ करो, उसपर, ये इस तरह मेरे सामने पड़ी थी, मेरे हाथ से बात निकल चुकी थी........मुझे इतना आगे तुम्ही लोगों ने बढ़वाया और अब मुझे कोस रहे हो.
रवि: अमित, ये इसी तरह से हर बार ठीक होती है तो मैंने यही तरीका पिंकी के माध्यम से तुमको बताया, पर तुम तो..............हे भगवान्.
पिंकी: अमित, मैं तुम्हे माफ़ नहीं कर सकती, तुमने वो किया है जिसका कोई प्रायश्चित ही नहीं है...........और वो रोने लगी.
उन दोनों की शानदार अदाकारी देख कर जोर से आती हंसी को भी रोका मैंने.
पिंकी: देखो देखो अभी भी नियत ठीक नहीं, अपने लंड को देखो अभी भी खड़ा है.
वो तुरंत संभला और अपना लोअर पहन लिया और सर पकड़ कर खड़ा हो गया, उसकी निगाहें मुझ पर पड़ रही थी.
पिंकी फिर बोली....अभी जरा सी भी शर्म बची हो ऐसे घूरना बंद करो और दीदी के ऊपर चादर डाल दो. ऐसा लग रहा है कुछ करने नहीं मिला तो अपनी आँखों से ही................और फिर वो रोने लगी.
तभी रवि उसकी और बड़ा और उसके सर पर हाथ रख कर उसे दिलासा दिलाने लगा......जो होना था वो तो हो गया, हम तो लुट ही चुके हैं, अब क्या हो सकता है.
ये लोग अमित का अपराध बोध बड़ा रहे थे.
पिंकी: इसकी पत्नी के साथ ऐसा कुछ हुआ होता तब पता चलता इसे.
अमित: अरे माफ़ी मांग तो ली मैंने अब और क्या करूं.............. चल अगर इसे ही तू सजा मानती है तो मैं ये सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ.
और वो आगे बढ कर पिंकी के कपडे निकालने लगा. पिंकी बच कर भागी पर कहाँ बच सकती थी.........रवि ने रोकने की कोशिश की तो उसे ऐसा धक्का पड़ा कि बेचारा बिस्तर पर मेरे पास आ गिरा. उसके कान मेरे मुंह के पास थे.........मैंने धीरे से कहा बहुत बढ़िया रवि........बस थोड़ी सी एक्टिंग और .........
उधर देखते ही देखते पिंकी को नंगा कर दिया उसने. पिंकी ने अपने हाथ से अपने यौवन को छुपा रखा था.
अमित अब रवि के पास आया. रवि देखो यही मेरी सजा है........ कुछ गलत कर रहा हूँ तो माफ़ करना परन्तु बीवी के बदले बीवी. तुम पिंकी के साथ वही सब करो जो मैंने दीदी के साथ किया है.
और यहीं मेरे सामने ही करो, मुझे अपनी बीवी को उस हाल में देखना ही पड़ेगा, जैसा बदकिस्मती से तुमको देखना पड़ा है. प्लीज़ यार, अपने कपडे उतारो और यहीं पर शुरू हो जाओ.
ये सब सुन कर रवि ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की परन्तु उस पर जैसे पिंकी को चुदवाने का जूनून सवार हो चूका था सो उसने रवि के पैर पकड़ लिए. रवि तब भी तस से मास ना हुआ तो अमित ने एकदम से अपना पैंतरा बदला और जोर से चिल्लाया............रवि....अब एक नहीं सुनूंगा किसी की भी, मैं अपराध बोध के साथ जी नहीं सकता, इसलिए तुम्हे ये हिसाब यहीं पर बराबर करना ही पड़ेगा और अभी के अभी.......और फिर उसने रवि को धक्का देखर पिंकी के पास पहुंचा दिया. रवि अभी भी चुपचाप खड़ा रहा.
अमित अब एक कोने में सिमटी सी खड़ी पिंकी के पास गया और उसे एक झटके में उठा कर पलंग पर मेरे बाजू में पटक दिया. फिर पलट कर जैसे ही एक चीख मारी ....रवि............... और अबकी बार रवि ने डरने का अभिनय करते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया और अपने कपडे निकालने लगा......पिंकी भी बहुत डरने की एक्टिंग कर रही थी......रवि पूरा नंगा हो कर धीरे से पिंकी के पास जाकर खड़ा हो गया. अब अमित बोला - प्लीज़ पिंकी, उसका हथियार चूस चूस कर तैयार कर और ले ले अपनी दीदी पर हुए इस ज़ुल्म का बदला ....
पिंकी ने आदेश का पालन किया और रवि का खड़ा कर दिया.....रवि को अमित ने अब पिंकी के ऊपर आकर आकर चुदाई करने का इशारा किया .....रवि ने पिंकी के ऊपर आते हुए अपने फुंफकारते नाग को पिंकी की संकरी सी पिटारी में डाल दिया. नाग महाराज तो जैसे अन्दर घुसने को आतुर ही थे, एक ही प्रयास में पुरे के पुरे पिटारी में. अब रवि ने अपना जोर हाथों पर ले लिया परन्तु अब क्या करे वो इस सोच में पड़ गया. अमित ने तो बस यहीं तक ही किया था, क्या घस्से मरे या नहीं.
तभी अमित ने रवि की पीठ पर हाथ फेरा और बोला क्या बात है रुक क्यों गए. अब किसका इंतज़ार है, शुरू हो जाओ भाई.
उसका इशारा होते ही रवि ने हौले हौले पिंकी के टार्गेट पर निशने लगाना चालू कर दिया. हर निशाना सही जगह पर लग रहा था.
अपनी बीवी को चुदते हुए देखते देखते अमित का लंड यकायक करंट से भर उठा. वो बिस्तर पर खड़ा हुआ और फिर अपना लोवेर नीचे खिसका दिया. मूसल महाराज ने पुन: शक्ति अर्जित कर ली थी और अबकी बार उसे रोकने वाला कोई भी नहीं था. वो जोश में आने लगा और उसका हाथ उसके शाही लंड की ओर बढ़ा, यक़ीनन उसे दिलासा दिलाने के लिए कि, अब तेरी बारी भी आने वाली है और वो उसे मसलने लगा.
पिंकी ने जब अमित को बेशर्मी से अपना लौड़ा मसलते देखा तो उसने इशारे से रवि को बताया की देखो अमित को. रवि ने चुदाई रोक कर अमित की ओर देखा. अमित बड़ी ही बेशर्मी से अपनी खींसे निपोरकर बोला- लगे रहो मुन्ना भाई अपने काम पे, और मुझे भी अब अपना काम करने दो, यह कहकर वो नीचे झुका और मेरी चूत पर अपना लंड टिकाते हुवे उसे मेरे अन्दर डाल दिया और वो धीरे धीरे मुझे चोदने लगा. उसकी इसी हरकत का बेसब्री से इंतज़ार था मुझे........... मेरी तो अब जान में जान आई.
रवि और पिंकी ने ये देखा तो वो चौंक गए. पिंकी ने अमित से तीखा सवाल किया - अब ये फिर क्या करने लगे तुम.
अमित: जब सजा भुगत ही रहा हूँ तो कम से कम अपराध तो पूरा कर लूं, डाल तो दिया ही था मैंने, अब क्या फर्क पड़ता है, पूरी चुदाई की सजा भी वही बनती है जो इस वक़्त मैं भुगत रहा हूँ. इसलिए बातें का कम और काम ज्यादा. चलो रवि चलो, ठोको मेरी बीवी को फिर से.
पिंकी: पर अमित मुझे क्यों सजा मिल रही है, अपराध तो तुमने किया है.
अमित: क्यों री, पांच मिनट से अमित तुझे चोद रहा है और तुझे अभी भी ये सजा ही लग रही है, तू गरम नहीं हुई अभी तक और मज़ा नहीं आ रहा तुझे.
पिंकी: अमित तुमको तो पता ही है मेरा, बिना फॉरप्ले के मैं गरम कहाँ होती हूँ, अभी ये चुदाई तो एक सजा ही है.........................
अरे उसने तो ये बात बोलकर एकदम से मामला ही उल्टा दिया. अब अमित ने क्या बोलना है.........वही बोलना है जो हम उससे बुलवाना चाहते हैं.
अमित: रवि, क्या करते हो, भाई, उसकी सुक्खी-सुक्खी क्यों मार रहे हो. तुम उसको गरम भी करो, देखो तुमको अपनी पत्नी देकर कोम्पेंसेट कर रहा हूँ, तुम कम से कम पिंकी का तो थोडा ख्याल रखो ना.
रवि ने कहा- अब ये भी करना पड़ेगा............. ठीक है........और फिर वो पिंकी पर छा गया. उसके बोबे और होंठो पर टूट पड़ा.
इधर अमित ने भी धक्के लगाने चालू कर दिए और मैं अमित के लंड के दमदार घस्से अपनी चूत में खाकर धन्य हो रही थी......मैं मज़े से चुद रही थी भोंदू महाराज से और अपनी योजना के पूर्ण सफल हो जाने पर मन ही मन इतरा भी रही थी.
पांच मिनट में ही रवि और पिंकी ढेर हो गए और एक दुसरे की बाँहों में समां गए.
इधर अमित भी फुल पॉवर में मुझे चोद रहा था......मुझे अमित के झड़ने तक अपना झड़ना रोके रखना था....
कुछ देर की तगड़ी मारामारी के बाद अमित तनिक सा अकड़ा और ये संकेत था मेरे लिए और मैंने भी अपनी पतंग को एकदम से ढील दे दी. दोनों की पतंगे सुदूर आसमान में एक दुसरे से गुथ्थम गुथ्था होकर बड़ी तेज़ी के साथ अपनी मंजिल की ओर बही चली जा रही थी. दोनों के दोनों गुरुत्वाकर्षण के किसी भी आभास से परे बस उड़े चले जा रहे थे.............
अब उसने जोर से चीख मारी और अपनी पिचकारी चला दी.........
उसकी एकदम गरम और तेज़ पिचकारी जैसे ही मेरे गर्भाशय के मुंह पर महसूस हुई मेरी भी छूट होने लगी और मैं भी चिल्ला चिल्ला कर झड़ने लगी और अमित को कस कर अपने गले से चिपका लिया.
पिंकी और अमित हमें देख रहे थे.........मैं तो मानो स्वर्ग में थी.........अमित को कस के भींच रखा था.......
अब मुझे अपनी बेहोशी से बाहर आने का अभिनय करना था, सो आँखे बंद किये किये ही में बुदबुदाने लगी- ओह रवि,....... क्या चोदा है तुमने आज मुझे,............ ऐसा मज़ा तो कभी नहीं आया,.................. तुमने ये आज क्या किया.
अमित को मेरे मुंह से रवि का नाम सुन कर एक झटका लगा....... अरे ये तो मुझे रवि समझ रही थी.........और अभी तो इसकी अदालत बाकि है .....अब वो फिर डरा कि जैसे ही मुझे ये सब पता चलेगा फिर उसे टार्चर होना पड़ेगा.
अब जैसे ही मैंने आँख खोली अपने ऊपर अमित को हटते पाया. उधर रवि और पिंकी भी एक दुसरे में समाये हुए थे.......रवि ने भी अपने लंड को पिंकी खोह में से खींच कर निकला जो दोनों के काम-रस से सराबोर था.
मैं चीखी, ये क्या हो रहा था और ये अमित मेरे साथ क्या कर रहा था.......छि छि छि छि .......और रवि और पिंकी तुम दोनों भी ये ............हाय राम ...........और मैंने एक चादर अपने ऊपर खींच ली और आँख बंद करके रोने लगी.
रवि मेरे पास आया कि मैं तुम्हे सब बताता हूँ.............मैंने थोड़ी देर तक बहुत सीन क्रियेट किया और फिर जब तीनो ने हाथ जोड़ कर सिर्फ सुन भर लेने की याचना की तब कहीं बमुश्किल उनकी बात सुन ने के लिए राज़ी हुई.
उन तीनो ने मिलकर सारी घटना बताई.............और पूछा कि अच्छा बताओ अब किसका दोष है इसमें......मैंने सर पकड़ लिया........अमित ने माफ़ी मांगी और कहा दीदी जो होना था सो तो हो गया और फिर हम सब तो घर के ही लोग हैं.........एक दुसरे के हमराज़....बाहर किसी को कुछ पता नहीं चलेगा......बोलो रवि..... पिंकी...... ठीक कहा ना मैंने, दोनों ने हाँ में सर हिलाए, अरे उनको तो हिलाना ही थे...........पिंकी ने धीरे से ओ शेप में हाथ बनाते हुवे इशारा किया कि मान गए दीदी तुम्हे...........
मैंने धीरे धीरे नार्मल दिखने की कोशिश की.........कुछ देर की चुप्पी के बाद मैंने कहा..........चलो जो हुआ सो हुआ ....परन्तु मेरा एक बहुत बड़ा नुक्सान हो गया इन सब में.............
अमित: दीदी,....... नहीं,.......... आप बोलो मेरी गलती थी ना,................. आप आदेश करो,........ मैं कुछ भी कर सकता हूँ,........... आपका क्या नुक्सान हुआ है............
अब मैं शर्माने लगी.....नहीं नहीं जो हुआ सो हुआ, अब क्या किया जा सकता है...............
पिंकी: बोलो दीदी, अमित बोल तो रहा है बेचारा, देखो अभी भी तुम्हारे लिए इसके दिल में कितना रेस्पेक्ट है........तुम बताओ तो उसे............
मैं: पर वो सुन कर रवि को बुरा लग सकता है.............
रवि: देखो रोमा, मैं अमित के न्याय करने के तरीके पर फ़िदा हो गया. अपनी गलती के लिए इसने अपनी पत्नी मुझे सौंप दी, तुम मेरी चिंता छोडो और बताओ.
अब मेरी बाज़ी का अंतिम पत्ता निकालना था मुझे और मैंने वो निकाल कर फेंका..........
मैं: आप सब ने सुना होगा ना.....मैं जब झड रही थी तो क्या बडबडा रही थी.........कि मुझे आज तक इतना मज़ा नहीं आया, मुझे होश आते ही मैं झड़ने के करीब थी और मैं बंद आँखों से अमित को रवि समझ रही थी..............पर वो बात सच थी कि मुझे आज से पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया.......अब इतना मज़ा चख लिया है......रवि प्लीज़ तुम बुरा मत मानना.....पर अब शायद ही मुझे इतना मज़ा कभी आएगा......मुझे ये स्वाद चखा कर अमित ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, अब कैसे मिलेगा मुझे ये परमानन्द . क्यों अमित क्यों.......मुझे क्यों ये स्वाद चखाया, मैं रवि से सम्पूर्ण संतुष्ट थी, मुझमे एक नयी प्यास जगा कर जिंदगी भर के लिए प्यासा छोड़ दिया है..............ये नुक्सान हुआ है.............
मेरी बात सुनकर तीनो सकते में आ गए............पिंकी अपने शानदार अभिनय को जारी रखते हुए अविश्वास से मुझसे बोली- तो क्या दीदी तुमने अमित को माफ़ कर दिया, हे भगवन तेरा बहुत बहुत शुक्रिया, वरना मैं ये अपराध बोध लेकर केसे जीती.
अमित को तो जैसे अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ- बस इतनी सी बात, और फिर रवि से बोला- अब तुम बोलो क्या बोलते हो, क्या अपनी पत्नी की ख़ुशी के लिए मुझे उसे सुख देने की इज़ाज़त दे सकते हो.......देखो बदले में मैं तुम्हे भी कुछ दे रहा हूँ............पिंकी, तुम अपने जीजू के साथ खुशियाँ बाँट सकती हो क्या..............
पिंकी ने अपनी नज़रे शर्म से झुका ली.............अमित फिर बोला देखो रवि, तुम्हारी प्यारी साली तुम्हारी पूरी घरवाली बन ने को तैयार है............दोस्त क्या कहते हो.....हाँ कह दो ना..........वैसे मेरी पिंकी भी रोमा दीदी से कुछ कम नहीं है.....घाटे में नहीं रहोगे...............
ये सुन कर रवि ने मेरी ओर प्रश्नवाचक निगाह डाली.................मैंने अब हंस के रवि को स्वीकृति दे दी........
"जाओ रवि, मैं अपनी प्यारी सी छोटी बहन तुम्हारे हवाले करती हूँ.............तुम्हे उसका साथ पसंद तो आएगा ना........"
अब शर्म से नज़रे झुकाने की बारी रवि की थी.............बिलकुल लड़कियों की तरह शर्मा कर बोला........हाँ पिंकी मुझे बहुत पसंद है.........
अमित: बस तो हो गया आपका मसला हल दीदी. अब तुम्हारा नुक्सान पूरा करने की जिम्मेदारी पूरी की पूरी मेरी.............
मैं: पर अभी भी एक गड़बड़ कर रहे तो अमित तुम.........
सब हैरान कि अब क्या रह गया है..............
मैं: अब मैं तुम्हारी दीदी नहीं.........अब तुम्हारी रोमा डार्लिंग हूँ............बुलाओ मुझे ऐसे..........
और सब जोर से हंस पड़े...........................................
और फिर हम चारों ने अगले दो दिन, बिना रुके, इस "मज़ेदार अदला-बदली" का भरपूर आनंद उठाया..........
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Re: मज़ेदार अदला-बदली
Unread post by The Romantic » 10 Dec 2014 08:07
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